मकर संक्रांति 2024: भारतीय समाज में पर्वों का महत्वपूर्ण स्थान है और इन्हें धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व के साथ मनाया जाता है। इन पर्वों में से एक है “मकर संक्रांति” जो 2024 में 15 जनवरी को मनाया जाएगा। यह पर्व सूर्य के उत्तरायण, यानी उत्तर हेमिस्फियर में सूर्य का उत्तर की ओर गति करने का समय, को संदर्भित करता है और इसे विभिन्न रूपों में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का इतिहास और महत्व:
मकर संक्रांति का पर्व भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे हिन्दू पंचांग में एक महीने के पूर्व तिथि के रूप में देखा जाता है, और इसके पीछे भगवान सूर्य की महत्वपूर्ण भूमिका है। मकर संक्रांति को सूर्य देव की पूजा के रूप में मनाने का अर्थ होता है, जिससे सूर्य की कृपा होती है और जीवन में उत्कृष्टता आती है। इसे ‘माघी’ मास में मनाने का भी परंपरागत तरीका है।
मकर संक्रांति का पर्व विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि माघी, उत्तरायण, खिचड़ी, लोहड़ी, पोंगल, मकर संक्रांति, भोगली बिहु इत्यादि, जो विभिन्न भागों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।
विभिन्न क्षेत्रों में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति पर्व:
- माघी (कुम्भ) मेला (प्रयागराज): माघी मेला, जिसे प्रयाग मेला भी कहा जाता है, यहां पर हर 12 वर्षों में एक बड़ा मेला आयोजित होता है। इसमें लाखों लोग यहां स्नान करते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं।
- मकर संक्रांति (उत्तर भारत): उत्तर भारत में मकर संक्रांति को लोहड़ी और भोगली बिहु के रूप में मनाया जाता है। लोहड़ी में लोग बोनफायर जलाते हैं और खेतों में बैल और गन्ने की रोटियां चढ़ाते हैं। भोगली बिहु में असम में खेतों में बोनफायर जलाकर बीहु नृत्य किया जाता है।
- पोंगल (तमिलनाडु): तमिलनाडु में मकर संक्रांति को ‘पोंगल’ कहा जाता है, और यह एक सागरों की पूजा के साथ मनाया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री बनाई जाती है और गरम खाद्य अन्न के साथ शेयर किया जाता है।
मकर संक्रांति का मिठा संबंध:
मकर संक्रांति का पर्व विभिन्न प्रकार के मिठाई और खास व्यंजनों के साथ जुड़ा होता है। तिल-गुड़, गुड़-गजाक, खीर, तिल-कुट्टू, चौले की खिचड़ी और अन्य विशेष व्यंजन इस पर्व के लिए तैयार किए जाते हैं। ये खाद्य आपसी समरसता और खुशी का परिचायक होते हैं और लोग इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ बांटते हैं।
मकर संक्रांति का त्यौहार:
मकर संक्रांति हिन्दू धर्म में सूर्य देव की पूजा का समय है जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इसे सूर्य देव के उत्तरायण के दिन के रूप में मनाने का विचार किया जाता है और लोग इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। सूर्य देव की पूजा के बाद, लोग आपसी भाईचारा बढ़ाते हैं और एक दूसरे के साथ खुशियों का हिस्सा बनते हैं।
मकर संक्रांति का फलंदाजी:
मकर संक्रांति के दिन फलंदाजी (किसी भी रूप में उड़ानभरना) एक प्रमुख गतिविधि है जो बच्चों और युवाओं के बीच बड़े उत्साह से की जाती है। उन्हें खुले मैदान में उड़ान भरने का मौका मिलता है और वे आसमान में कुछ रंगीन पतंगें उड़ाते हैं। यह एक रंगीन और आनंदमय सामाजिक गतिविधि है जो लोगों को मिलकर एक-दूसरे के साथ बांधती है।
मकर संक्रांति का संबंध और विशेषता:
मकर संक्रांति का पर्व विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, लेकिन इसकी एक सामान्य विशेषता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा होती है और लोग आपसी समरसता, सामाजिक समरसता और खुशियों के साथ इसे मनाते हैं। इसके लिए लोग एक दूसरे को बच्चों के साथ खुशियों का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करते हैं |मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जो सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक दृष्टि से भारतीय समाज में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन लोग अपने परंपरागत तरीकों से इसे मनाते हैं और एक दूसरे के साथ आत्मविश्वास और मित्रता का माहौल बनाए रखते हैं। इसे एक साथ होने वाले मेले, पूजा-अर्चना, और विभिन्न रंग-बिरंगे कार्यक्रमों के माध्यम से समृद्धि और शुभकामनाओं के साथ आयोजित किया जाता है। इसका आनंद लेने वाले लोग नए साल की शुरुआत को एक नए ऊर्जावान और उत्साही स्वरूप में देखते हैं।